Smt. Dankunwar Hindi Kanya Vidyalaya Samiti’s

(Hindi Linguistic Minority Institute)

Smt. Dankunwar Mahila Mahavidyalaya, Jalna

श्रीमती दानकुँवर महिला महाविद्यालय, जालना

Affiliated to

(Dr. Babasaheb Ambedkar Marathwada University, Chh. Sambhajinagar)

NAAC Accredited B+ Grade (2.52 CGPA)

CALL FOR RESEARCH PAPER/ARTICLES FOR NATIONAL CONFERENCE ON "ONLY WOMEN: THE ROLE OF WOMEN IN NATION BUILDING" 8TH MARCH 2025, SATURDAY

About Hindi Department

About Hindi Department

शिक्षा की व्यवस्था हो चाहे व्यवस्था की शिक्षा दोनों की स्थिती में भाषा का महत्त्व सर्व विदित हैं । व्यावहारिक जीवन शैली हो चाहे अध्ययन शीलता का ककहरा सीखना हो, भाषा के बिना सब व्यर्थ है । बिना भाषा के सीखें, समझें और जानने के कुछ भी सीखना असंभव हैं । बात जब ककहरे की हो तो मातृकुल परिवेश की भाषा यानी मातृभाषा का महत्त्व स्वीकारा गया हैं । भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध, आधुनिक काल के कवि भारतेंदु हरिशचंद्र ने निज भाषा का महत्त्व बताते हुए लिखा भी हैं कि, निज भाषा उन्नति हैं, सब उन्नति को मुल, बिना भाषा ज्ञान के, मिटन न हिए के सूल । इसके साथ भारत की निज भाषा से भारतेंदु जी का तात्पर्य हिंदी सहित भारतीय भाषाओं से रहा हैं । हिंदी सम्पूर्ण भारत को समृद्ध एवं आत्मनिर्भर बनाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है क्योंकि हिंदी देश की सर्वाधिक बोली एवं समझी जानेवाली भाषा हैं । वह राजभाषा, संपर्कभाषा, बोलचाल की भाषा हैं ।

श्रीमती दानकुँवर हिंदी कन्या विद्यालय समिती जालना द्वारा संचालित श्रीमती दानकुँवर महिला महाविद्यालय, जालना की स्थापना शिक्षण महर्षी स्वर्गीय सेठ कुंदनलालजी अग्रवाल द्वारा की गई । नारी शिक्षित होकर अपनी योग्यता और प्रतिभा का परिचय दे, यही संस्था का लक्ष रहा हैं । संस्था का ब्रीद वाक्य “शिक्षिता वनिता : राष्ट्रोन्नतेर्मूलम” अर्थात एक शिक्षित नारी ही राष्ट्र का उद्धार कर सकती हैं । श्रीमती दानकुँवर महिला महाविद्यालय स्थापना के साथ ही हिंदी विभाग का शुभारंभ ई.स.१९८९ में हुआ । स्नातक पाठ्यक्रमों के साथ-साथ कौशल पर आधारित प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम भी विभाग की ओर से चलाए जा रहें हैं ।

हिंदी विभाग की विशेषताएँ

  • 1. समृद्ध ग्रंथ संपदा ।
  • 2. छात्रों का साहित्यिक एवं व्यक्तित्व के विकास संबंधी कार्यक्रमों एवं उपक्रमों का आयोजन ।
  • 3. छात्राओं में साहित्यिक ऋची निर्माण हेतु सीधे साहित्यिकों, समीक्षकों से साक्षात्कारों का आयोजन ।
  • 4. नवलेखकों की प्रेरणा तथा प्रोत्साहन हेतु व्यक्तिगत मार्गदर्शन तथा प्रकाशन में सहयोग तथा पुरस्कारों से सम्मान की योजना ।
  • 5. छात्राओं की अगादमीय योग्यता बढाने हेतु निरंतर प्रतिबद्ध अध्यापक ।
  • 6. अध्यापन में नवतंत्रज्ञान का प्रयोग ।
  • 7. नई शिक्षा नीति के अनुरूप महाविद्यालय छात्राओं के कौशल विकास हेतु सौंदर्य प्रसादन तथा विविध कोर्स ।

दृष्टि (Vision) :

  • 1. महाविद्यालयीन छात्राओं को एक विस्तृत व्यापक स्तर के व्यावसायिक रूप में तैयार करना ।
  • 2.महिला सक्षमीकरण को बढ़ावा देना ।

लक्ष्य (Mission) :

  • 1.शिक्षा के साथ-साथ उपजीविका के साधन की उपलब्धि करा देना ।
  • 2. नई शिक्षा नीति के अनुरुप महाविद्यालयीन छात्राओं के रूचि अनुरूप कौशल विकास को बढ़ावा देना ।

उद्देश्य (Objective) :

  • 1.नई शिक्षा नीति के अनुरूप महाविद्यालयीन छात्राओं के रूचि अनुरूप कौशल विकास को बढ़ावा देना ।
  • 2. हिंदी भाषा की व्यावहारिक उपयोगिता का ज्ञान छात्राओं तक पहुँचाना ।
  • 3. छात्राओं में हिंदी भाषा के प्रति रूचि जागृत कराना ।
  • 4. महाविद्यालयीन छात्राओं को एक विस्तृत स्तर के व्यावसायिक रूप में तैयार करना ।.

विषय की व्याप्ती

हिंदी भारत की, सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को संरक्षित और प्रसारित करते लोगों को उनकी जड़ो से जोड़ने और पहचान की भावना को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है । एक आधिकारिक भाषा के रुप में, हिंदी का उपयोग सरकारी संचार, संसदीय कार्यवाही और आधिकारिक दस्तावेजों में किया जाता हैं । समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, समाचार चैनलों आदि में रोजगार के अनेक अवसर मिलते हैं । इसलिए युवाओं को इस क्षेत्र में काफी रोजगार उपलब्ध हो रहे हैं । स्नातक एवं स्नातकोत्‍तर पाठ्यक्रमों को पूरा कर छात्र सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में अपना सफल भविष्य बना सकते हैं ।

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